Uttarakhand Panchayat Chunav 2025: जानिए ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक को कितनी सैलरी मिलती है

Uttarakhand Panchayat Chunav 2025: नमस्कार दोस्तों , जब भी गांव की राजनीति करवट लेती है, तो सिर्फ चुनाव ही नहीं होते बल्कि पूरी व्यवस्था की आत्मा फिर से जाग जाती है। अभी फिलहाल उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का दौर शुरू हो चुका है और हर गांव, हर गली में बस एक ही चर्चा चल रही है कि “इस बार किसे जिम्मेदारी मिलेगी” |

चुनाव पंचायत को देखते हुए एक सवाल जो हर जागरूक नागरिक के ज़ेहन में जरूर आता होगा की जो लोग गांव के लिए अपना समय, मेहनत और नीति समर्पित करते हैं, उन्हें बदले में क्या मिलता होगा |

उत्तराखंड की पंचायत व्यवस्था में कई स्तर हैं, और हर स्तर के जनप्रतिनिधि को अलग-अलग मानदेय और सुविधाएं दी जाती हैं। आज के इस लेख में हम पूरी गहराई से जानेंगे कि पंचायत चुनाव 2025 ( Uttarakhand Panchayat Chunav 2025) में चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों को कितना वेतन, कितना सम्मान और कैसी सुविधाएं दी जाती है | इसलिए आर्टिकल में लास्ट तक बने रहें |

Uttarakhand Panchayat Chunav 2025: पंचायत व्यवस्था की बुनियाद

Uttarakhand Panchayat Chunav 2025
Uttarakhand Panchayat Chunav 2025

भारत के संविधान के 73वें संशोधन के बाद गांवों में लोकतंत्र को मज़बूती देने के लिए त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली लागू की गई।और उत्तराखंड में भी यही व्यवस्था लागू है| हर स्तर पर अलग-अलग जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं, और इनकी भूमिका जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही कम चर्चा इनकी सुविधाओं पर होती है।

  1. ग्राम पंचायत (गांव स्तर)
  2. क्षेत्र पंचायत / ब्लॉक (मध्य स्तर)
  3. जिला पंचायत (जिले स्तर)

ग्राम पंचायत सदस्य (Ward Member) सैलरी

गांव की सबसे बुनियादी इकाई वार्ड सदस्य, जिन्हें हम आमतौर पर “ग्राम पंचायत सदस्य” कहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की इन्हें कोई मासिक वेतन नहीं मिलता। लेकिन इनकी भूमिका कम नहीं होती |

ग्राम पंचायत सदस्य गांव के हर निर्णय में भाग लेते हैं साथ ही ग्राम सभा की बैठकों में जरूरी मुद्दे भी उठाते हैं और जरूरी होने पर ग्राम प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकते हैं। इनका काम “सेवा भाव” पर आधारित होता है, पर गांव के फैसलों में इनकी बात अहम होती है।

ग्राम प्रधान सैलरी

आपको बता दे कि ग्राम प्रधान सिर्फ एक पद नहीं होता बल्कि पूरे गांव का चेहरा होता है। गांव के हर छोटे-बड़े फैसले, विकास कार्य, सरकारी योजनाओं के संचालन की ज़िम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है। सरकार की और से ग्राम प्रधान को ₹3,500 मासिक मानदेय/ सैलरी मिलती है |

  • मानदेय / सैलरी : ₹3,500 प्रति माह
  • फंड कंट्रोल : मनरेगा, वित्त आयोग, जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन आदि के करोड़ों रुपये
  • सुविधाएं : कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं, लेकिन गांव में सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति

उप प्रधान सैलरी

उप प्रधान, जिनका चुनाव वार्ड सदस्य करते हैं, इनको सरकार की ओर से केवल ₹500 प्रति माह का मानदेय / सैलरी मिलती है। उनके पास भी कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं होती, लेकिन ग्राम सभा के भीतर यह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • मानदेय/सैलरी : ₹500 प्रति माह
  • भूमिका: प्रधान की अनुपस्थिति में कार्य संचालन, पंचायत निर्णयों में सहयोग

BDC क्षेत्र पंचायत सदस्य सैलरी

BDC यानी Block Development Council Member या क्षेत्र पंचायत सदस्य। ये ब्लॉक स्तर पर काम करते हैं और विकास योजनाओं की मंज़ूरी में इनका अहम रोल होता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य यानी BDC को प्रत्येक बैठक में केवल ₹200 का मानदेय मिलता है। लेकिन इनकी मौजूदगी ज़मीनी योजनाओं को आकार देने में अहम होती है।

  • मानदेय/सैलरी : ₹200 प्रति बैठक
  • जिम्मेदारी: क्षेत्र की समस्याएं उठाना, योजनाओं का अनुमोदन, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव

ब्लॉक प्रमुख सैलरी

ब्लॉक प्रमुख पूरे ब्लॉक के विकास कार्यों की अगुवाई करते हैं। इन्हें आम BDC सदस्यों द्वारा चुना जाता है। ब्लॉक प्रमुख को सरकारकी ओर से ₹6,000 प्रतिमाह और ₹10,000 का वाहन भत्ता मिलता है। इनके लिए ब्लॉक स्तर पर कार्यालय की व्यवस्था भी होती है। ये विकास योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।

  • मानदेय/सैलरी : ₹6,000 प्रति माह
  • वाहन भत्ता: ₹10,000 प्रति माह
  • सुविधा: कार्यालय, कर्मचारी, योजनाओं की मॉनिटरिंग पावर

जिला पंचायत सदस्य सैलरी

जिला पंचायत सदस्य किसी जिले की सबसे बड़ी पंचायत संस्था में भाग लेते हैं। विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने में इनकी भूमिका अहम होती है। ये ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। जिला पंचायत सदस्य सदस्यों को ₹1,000 प्रति बैठक का मानदेय दिया जाता है।

  • मानदेय: ₹1,000 प्रति बैठक
  • भूमिका: जिले की विकास योजनाओं को पास करना, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनना
  • पावर: हर विकासखंड पर निगरानी और बजट प्लानिंग में हिस्सा

जिला पंचायत उपाध्यक्ष सैलरी

उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में जिला पंचायत की कमान संभालते हैं। जिसके लिए इनको सरकार की ओर से ₹5,000 मासिक मानदेय और हर ग्रामसभा में ₹1 लाख सालाना विकास निधि मिलती है। हालांकि, इन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं दी जाती है |

  • मानदेय: ₹5,000 प्रति माह
  • निधि: हर ग्रामसभा के लिए ₹1 लाख की निधि (विकास के लिए)
  • सुविधा: कोई वाहन या सुरक्षा सुविधा नहीं

जिला पंचायत अध्यक्ष सैलरी

आपको बता दें की जिला पंचायत अध्यक्ष को त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली का “सबसे शक्तिशाली पद” माना जाता है। जिला पंचायत अध्यक्ष को ₹15,000 मासिक मानदेय, सरकारी वाहन, गनर, और वाहन भत्ता मिलता है। यही व्यक्ति जिले की विकास योजनाओं की धुरी होता है और राज्य मंत्री के समान पॉवर रखता है। यह नेता जिला स्तर पर योजनाओं का नेतृत्व करता है और इसके हस्ताक्षर से ही करोड़ों की योजनाएं ज़मीन पर उतरती हैं।

  • मानदेय: ₹15,000 प्रति माह
  • सुविधा: सरकारी वाहन, ड्राइवर, गनर, दफ्तर, PA
  • पद की प्रतिष्ठा: राज्य मंत्री के समकक्ष

नोट – आपकी जानकारी के लिए आपको शूचित किया जाता है की Uttarakhand Panchayat Chunav 2025 इस ब्लॉग पोस्ट में दी गई पूरी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों के आधार पर दी गई है |

निष्कर्ष: Uttarakhand Panchayat Chunav 2025

हर पंचायत प्रतिनिधि चाहे वो वार्ड मेंबर हो या जिला अध्यक्ष वह सिर्फ नाम का प्रतिनिधि नहीं होता। ये लोग अपने गांव और क्षेत्र की तकदीर बदलने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं, वो भी बेहद सीमित मानदेय और सुविधाओं के साथ। आशा करते है आपको (Uttarakhand Panchayat Chunav 2025) ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक की पूरी सैलरी के बारे में जानकारी मिल गई होगी | यदि आपको यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें |

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